हलषष्ठी की हार्दिक शुभकामनायें।
✅हलषष्ठी✅ छत्तीसगढ़ में भादो के कृष्ण पक्ष की छठी तिथि पर षष्ठी पर्व मनाने की परंपरा है। इस पर्व को गांव-गांव में कमरछठ के नाम से जाना जाता है। इस बार नौ अगस्त को हलषष्ठी पर्व मनाया जाएगा। षष्ठी माता की पूजा करके परिवार की खुशहाली और संतान की लंबी उम्र एवं सुख-समृद्धि की कामना की जाएगी। पूजा-अर्चना में बिना हल जोते उगने वाले पसहर चावल और छह प्रकार की भाजियों का भोग लगाने का खासा महत्व है। ⚡बिना हल जोते उगता है पसहर चावल⚡ पसहर चावल को खेतों में उगाया नहीं जाता। यह चावल बिना हल जोते अपने आप खेतों की मेड़, तालाब, पोखर या अन्य जगहों पर उगता है। भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ के जन्मोत्सव वाले दिन हलषष्ठी मनाए जाने के कारण बलदाऊ के शस्त्र हल को महत्व देने के लिए बिना हल चलाए उगने वाले पसहर चावल का पूजा में इस्तेमाल किया जाता है। पूजा के दौरान महिलाएं पसहर चावल को पकाकर भोग लगाती हैं, साथ ही इसी चावल का सेवन करके व्रत तोड़ती हैं। इस दिन भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। माना जाता है कि बलराम का शस्त्र हल व मूसल होने के कारण पर्व का नाम हलषष्ठी पड़ा। ➕ मान्यता है कि माता देवकी के छह पुत्रों को जब कंस ने मार दिया तब पुत्र की रक्षा की कामना के लिए माता देवकी ने भादो कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को षष्ठी देवी की आराधना करते हुए व्रत रखा था। ➕ एक अन्य कथा के अनुसार अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा ने हलषष्ठी का व्रत किया था, जिससे उनका पुत्र परीक्षित जीवित रहा।